पथ के साथी

Tuesday, October 31, 2017

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1-डॉ .भावना कुँअर
1
जब भी तू सपनों में आता,सूनापन भर जाता
जैसे सूखी डाली पर,नया फूल खिल जाता
हौले-हौले आकर मन में,प्रेम दीप जल जाता
रोशन करके मेरी दुनिया,बन सूरज उग जाता।

-0-
रामेश्वर काम्बोजहिमांशु
1
जिन पर हमने किया भरोसा, सारे भेद छुपाकर निकले।
खून -पसीने से जो सींचे, वे सब हमें मिटाकर निकले।
सारी उम्र ग़ुज़ारी ऐसे , जब भीड़  मिली थी छलियों की
तुमको हमने समझा गागर, पर तुम पूरे सागर निकले ॥
2
जीवन में सुख यूँ ही कम हैं
चौराहों पर बिखरे गम है॥
फिर भी तुम हो कहाँ अकेले ।
साँसों के कम्पन में हम हैं॥

-0-

11 comments:

  1. सभी रचनाकारों को श्रेष्ठ रचनाओं हेतु बधाई । एक से बढ़कर एक।

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  2. सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर हैं।

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  3. दिल से निकले एक एक शब्द को पिरोती सुंदर रचनाओ के लिए डॉ. भावना कुंवर और आदरणीय भैया जी को बहुत बधाई व नमन।

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  4. सभी आदरणीयों के उत्कृष्ट रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई ।
    सभी रचनाएं बहुत ही अच्छी है ।

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  5. सभी आदरणीयों के उत्कृष्ट रचनाओं के लिए बहुत बहुत बधाई ।
    सभी रचनाएं बहुत ही अच्छी है ।

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  6. भावना जी का प्रेम भरा मुक्तक मन में कल्पनाओं का आकाश दिखाता है तो आदरणीय काम्बोज जी का मुक्तक दुनियावी सच्चाई की ठोस धरातल पर लाकर खड़ा कर देता है ।
    आप दोनों को इतनी अच्छी रचनाओं के लिए ढेरों बधाई...।

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  7. सुंदर रचनाएँ |
    पुष्पा मेहरा

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  8. सभी सुन्दर रचनाएं ।

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  9. बहुत सुन्दर भावपूर्ण मुक्तक !
    हार्दिक बधाई दोनों रचनाकारों को !!

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  10. आदरणीय भैया जी ,आदरणीया भावना जी बहुत सुंदर मुक्तक
    आप दोनों को हार्दिक बधाई

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  11. आदरणीय भैया जी एवँ भावना जी ,बहुत ही खूबसूरत रचनाएँ रची हैं आपनें ...हृदय-तल से बधाई !

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