पथ के साथी

Saturday, August 31, 2013

क्षणिकाएँ


डॉ ज्योत्स्ना शर्मा 
1
नेता -
राजनीति के रंग मंच का 
मँजा हुआ अभिनेता !
2
चुनाव -
एक ऐसा नाटक 
जिसे अभिनेता नहीं 
नेता खेलते हैं 
मनोरंजन हमारा होता है 
खर्च भी हमीं झेलते हैं !
3
कुर्सी -
चुनाव रूपी नाटक की नायिका 
जिसके लिए नाटक से बाहर भी 
संघर्ष होता है ,
आम दर्शक 
पाँच वर्ष रोता है !
4
वोट- 
हम कुछ यूँ 
समझ पाए 
दें तो भी पछताएँ 
न दें तो भी पछताएँ !
5
कविता हमारी ,
सुलगते बारूद की 
पहली चिंगारी !
-0-
(17-08-81 )
6
मेरा मन 
आज तक 
अनगिनत बंधनों में जिया है,
मैंने उन्हें तोड़ दिया है 
लेकिन वे कहते हैं -
मैनें ठीक नहीं किया है 
क्या आप भी ऐसा ही समझते हैं ?
यकीन मानिए 
इन बंधनों में मेरे विचारों के पाँव 
बार बार उलझते हैं |
(20-03-1985 )

-0-

12 comments:

  1. कविता हमारी ,
    सुलगते बारूद की
    पहली चिंगारी !

    विशेष लगी ये पंक्तियाँ , यही यथार्थ भी है .

    सभी बेहतरीन क्षणिकाएं .

    बधाई .

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  2. सभी क्षणिकाएं यद्यपि तीन दशक पहली लिखी गई थी लेकिन ये सभी आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।कालजयी रचनाओं की यही खूबी होती है ! ज्योत्स्ना शर्मा जी, इतने उत्कृष्ट सृजन के लिए आपको हार्दिक बधाई !

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  3. jyotsana ji apaki shhnikaye aj ki presthbhumi par khari utar rahi hain sarahniya hain. badhai.
    pushpa mehra.

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  4. सभी क्षणिकाएँ बहुत सुंदर! उनके भाव इतने गहरे व अर्थपूर्ण हैं..कि कभी पुराने नहीं होंगे..
    हार्दिक बधाई ज्योत्स्ना जी!:-)

    ~सादर!!!

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  5. Himanshu ji ,

    In kshnikaayon ke liye bhut saaraa aabhaar. Padhkr , aisa laga, ki kisii ne gaagr nmen saagr bhr diyaa ho. Yah hai sachi kavitaa. Sachaaee ka ghr jismen nhin kisii ka dr. Shiam Tripathi

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  6. तीक्ष्ण दृष्टि, लोकतन्त्र पर।

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  7. यकीन मानिए
    इन बंधनों में मेरे विचारों के पाँव
    बार बार उलझते हैं |

    इन बंधनों का टूटना ही श्रेयस्कर है । आपके सुंदर विचार बहुत ही खूबसूरती से कविता का नया-नया परिधान (छंद) धारण कर आकर्षित करते हैं।

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  8. aa Manju Gupta ji ,Subhash Chandra Lakhera ji ,Pushpa Mehra ji , Anita ji ,Shiam Tripathi ji ,Praveen Pandey ji ,Sushila ji evam Dr.Bhawna ji ....आपके सुन्दर प्रेरक कमेंट्स मेरे लेखन की ऊर्जा हैं |आप सभी के प्रति हृदय से आभार !

    आ काम्बोज भैया जी ने मेरी इस छोटी सी अभिव्यक्ति को यहाँ स्थान दिया... मैं अनुगृहीत हुई | आपके इस स्नेह आशिष की सदा कामना के साथ .......
    सादर
    ज्योत्स्ना शर्मा

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  9. बहुत खूबसूरत...हार्दिक बधाई...|
    प्रियंका गुप्ता

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  10. कविता हमारी ,
    सुलगते बारूद की
    पहली चिंगारी !

    सभी क्षणिकाएँ बहुत उम्दा ..बधाई सखी🌹🌹🌹🌹🌹👏👏👏

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