पथ के साथी

Tuesday, August 10, 2010

दिल का दरिया

जितना बाँटा दिल का दरिया

उतना जीवन हो गया सागर ।

कोई बूँद ले अन्तर क्या है

चाहे कोई भर ले गागर ।

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

5 comments:

  1. छोटी सी सुन्दर रचना के माध्यम से आपने जीवन की सच्चाई को बखूबी प्रस्तुत किया है! उम्दा रचना!

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  2. yahi hai gagar mey sagar.badhai....

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  3. बहुत बड़ा दिल होता है उनका जिनकी ऐसी सोच होती है.. आजकल तो लोग एक बूँद भी छिपाकर रखते हैं उनको डर जो होता है कहीं उनका दरिया बूँद-२ कर खाली ना हो जाए {कि कहीं कोई उनका काम्पीटीटर ना बन जाये...}
    बहुत प्यारे भाव ...बहुत सारी शुभकामनाएँ ...

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  4. Bahut bade DIL valo hain Aap....
    Bade dil vale Jyada jeete hain, Zindagee ko Khoobsarat bna kar doosron ko bhee Ujala dete hain....Aap vahee ho....aur vahee kar rahe ho.!!!!

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