पथ के साथी

Thursday, September 18, 2008

अलगाव का दर्द

 

अलगाव का दर्द

 

-बेल्ला ले रही दूध का

मुट्ठी मैं ले रही बूरा

बैट्ठे होकै पीलो जी राजा

सगी नणदी के बीरा ।

-बेला रख दो दूध का

मुट्ठी का रख दो बूरा

सच्चमसच बताओ मेरी गोरी

क्यों रोई थी रात मैं ?…

-सच्चमसच बताऊँ  मेरे राजा

छोड़ चले परदेस  नैं…

-सुसरा धोरै रहियो ओ गोरी

सुसरा सूबेदार सै

-सुसरा धोरै कोन्नै रहती

सासू का घरबार सै…

-जेट्ठा धोरै रहियो ओ गोरी

जेट्ठा थाणेदार सै …

- जेट्ठा धोरै कोन्नै रहती

जेठाणी लड़ै दिन रात सै…

-देवरा धोरै रहियो ओ गोरी

देवरा थारा प्यार सै…

 -देवरा धोरै कोन्नै रहती

देवरा का क्या अतबार सै …

-पीहर मैं चली जइयो ओ गोरी

पीहर थारा गाम सै

-पीहर मैं ना जाऊँगी जी राजा जी

भाई-भौजियों का राज सै …

-कुएँ मैं गिर जइयो ओ गोरी

कुआँ थारे बार सै

-कुएँ मैं ना डूबूँ  जी राजा जी

कुएँ की म्हारै  आण सै…

-म्हारी गेलौं चलियो वै गोरी

तू मेरी प्यारी नार सै

-थारी गेलौं जाऊँगी राजा जी

तुम मेरे भरतार सै …

 

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